शनिवार, मार्च 13, 2010

महिला आरक्षण से भाजपा को क्या मिला

जब संसद का बजट सत्र शुरू हुआ तो महंगाई को लेकर काफी हो हल्ला मचा। महंगाई की आग से आहत देश की जनता को महिला आरक्षण का मलहम मिला। पूरे देश का ध्यान इस विधेयक पर केंद्रीत हो गया। महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण कब मिलेगा, यह अभी भी भविष्य के गर्भ की बात है। लेकिन देशभर में विभिन्न संगठन के महिला कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़े बजाकर जश्न मनाया। सत्र से पहले महंगाई को लेकर आंदोलन करने वाली भाजपा महिलाओं को आकर्षित करने के लिए इस बिल को समर्थन दे बैठी। पर इससे सबसे नुकसान उसे ही हुआ। सच कहा जाए तो भाजपा को महंगाई को कभी मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने का तरीका ही नहीं आया। इंद्रिरा गांधी इसी मुद्दे को उछाल पर फर्श से फिर अर्श पर पहुंच गई थी। महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा इस मुद्दे को कारगर तरीके से नहीं उठा पाई। चुनाव हार गई। अब महिला आरक्षण पर अंदरुनी कलह शुरू हो चुकी है। भाजपा में महिला आरक्षण को लेकर एका नहीं है। इसका अंदाजा तब लग गया जब पार्टी के चीफ व्हिप रमेश बैस ने दबी जुबान ही सही ये माना कि सांसदों के बीच बिल को लेकर संशय की स्थिति है। दरअसल, भाजपा के एक बड़े धड़े को ये लगता है कि महिला आरक्षण बिल का समर्थन कर उसे कुछ नहीं मिला और कांग्रेस इस बिल को पास कराने का श्रेय मिल गया। लालू, मुलायम शरद यादव की तिगड़ी के प्रति ओबीसी, दलितों और मुसलमानों को में सहानुभूति मजबूत हो गई।

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