यह वर्ष 2008-09 के मंजूर शेडयुल दर पर आधारित हो सकती है। सन 1979-80 के बाजार दर की अपेक्षा सन 2008-09 के बाजार दर 10 गुना ज्यादा होंगे, अगर इससे भी ज्यादा मान लिया जाए तो 15 गुणा ज्यादा तक अनुमान लगाया जा सकता है। इसके आधार पर भी तृतीय प्रशासकीय मान्यता 750 करोड़ तक होनी चाहिए। लेकिन वास्तव में यह 2356.57 करोड़ की है, जो प्रशासकीय मान्यता का 40 गुना से भी ज्यादा है।
वर्धा (महाराष्ट्र)। सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की एक कर्मभूमि महाराष्ट्र का वर्धा जिला भी है। पर महात्मा गांधी के सत्य और ईमानदारी से आदर्श यहां के सरकारी महकम में कम ही देखने को मिलती है। यहां शराब पर पाबंदी है। पर दूसरे जिलों की अपेक्षा यहां शराब सबसे ज्यादा बिकती है। यहां स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में अनियमितता की खबरें आए दिन सुर्खियों में होती है। अब एक नई खबर आई है।
वर्धा जिले में निर्माणाधीन 48 करोड़ रूपए की लागत वाली निम्न वर्धा प्रकल्प 2356 करोड़ रूपये की हो गई है। प्रकल्प से संबंधित राशि की यह बढ़ोतरी संबंधित अधिकारियों के लेटलतीफी से हुई है। 1979-80 के शेडयूल दर पर आधारित यह प्रकल्प 48.08 करोड़ रूपये का था। प्रकल्प के कार्य जिले में धरण, वेस्ट वेअर तथा हेड रेग्युलेटर आदि का है। सन 1998 में नहर के कार्यो की शुरूआत हुई जो लगभग पूर्ण होने की स्थिति में है।
दोनों मुख्य शाखा नहर के कार्य 80 प्रतिशत एवं वितरण प्रणाली के कार्य 40 प्रतिशत पूरे हो चुके हैं। प्रकल्प की तृतीय सुधारित प्रशासकीय मान्यता के अनुसार प्रकल्प की कीमत 2356.57 करोड़ हो चुकी है। पहली प्रशासकीय मान्यता 48.08 करोड़ वर्ष 1979-80 के शेडयूल दर पर आधारित थी, मगर तृतीय प्रशासकीय मान्यता किस वर्ष के शेडयूल दर पर आधारित है यह जानकारी देने में प्रशासन आनाकानी करता है। सूत्रों का कहना है कि यह वर्ष 2008-09 के मंजूर शेडयुल दर पर आधारित हो सकती है। सन 1979-80 के बाजार दर की अपेक्षा सन 2008-09 के बाजार दर 10 गुना ज्यादा होंगे, अगर इससे भी ज्यादा मान लिया जाए तो 15 गुणा ज्यादा तक अनुमान लगाया जा सकता है। इसके आधार पर भी तृतीय प्रशासकीय मान्यता 750 करोड़ तक होनी चाहिए। लेकिन वास्तव में यह 2356.57 करोड़ की है, जो प्रशासकीय मान्यता का 40 गुना से भी ज्यादा है। पिछले अनेक वर्षाे से कछुए की गति से इस प्रकल्प का कार्य शुरू है। प्रशासन द्वारा दी हुई जानकारी के अनुसार, वितरण प्रणाली 40 प्रतिशत पूर्ण हो चुकी है, और मुख्य नहर का कार्य 80 प्रतिशत से ज्यादा हो चुका है। पुलगांव तक का पूर्ण होने के बावजूद, करोड़ो रूपए के इस प्रकल्प के द्वारा अब तक एक एकड़ जमीन को भी पानी का नहीं नसीब है।
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