रविवार, मार्च 28, 2010

24 घंटे में नौ किसानों ने की आत्महत्या

2010 में अब तक 194 मरें
संजय स्वदेश

विदर्भ में सूखे की मार से त्रस्त किसानों को राहत से किसी तरह से राहत नहीं मिलने के कारण वे खुदकुशी का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। बीते 24 घंटे में विदर्भ के विभिन्न जिलों में कुल नौ किसानों ने मौत का गले लगा लिया है। इस तरह से बीते सप्ताह में कुल 19 किसानों ने बदहाली से तंग आकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली है। ज्ञात हो क विदर्भ ही नहीं महाराष्ट्र के 15 हजार गांवों को पहले ही सूखा घोषित किया जा चुका है। पर किसानों को सूखे से राहत दिलाने के लिए किसी तरह की ठोस उपया योजना का क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। इससे किसानों को न केवल भारी मात्रा में फसलों का नुकसान हो रहा है, बल्कि उनके सामने भूखे मरने की नौबत तक आ गई है। किसान आत्महत्या के मामले में विदर्भ पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा है।
सूखे के कारण विदर्भ के किसानों के फसलों के हुए नुकसान से राहत दिलाने के लिए पिछले साल के फसल ऋण पर वित्तीय राहत और ब्याज छूट देने की सख्त जरूरत है। लेकिन गत दिनों राज्य सरकार ने अपने बजट में सूखे से बदहाल किसानों को किसी तरह की राहत नहीं प्रदान की है। खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य संकट और वित्तीय सहायता के लिए किसान ललचायी भरी नजरों से आस लगाए हुए हैं। कई किसान ऐसे हैं, जो गंभीर रूप से बीमारा है और उनके सामने घर के बेटियों की शादी की चिंता खाये जा रही है।
विदर्भ जनआंदोलन समिति के प्रमुख किशोर तिवारी कहते हैं कि किसान बदहाली में मदद के लिए अभी भी केंद्र सरकार की ओर टकटकी भरी नजरों से देख रहे हैं। किसानों की बदहाली का सबसे बड़ा करण है कि सरकार की वह नीति जिसमें किसानों को बी.टी.कपास उगाने को प्रोत्साहन दिया गया। इस फसल से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। दूसरी ओर सिंचाई के लिए पर्याप्त जल नहीं होने से स्थिति ओर गंभीर हो गई है।
nagpur se

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