बुधवार, मार्च 10, 2010
72 घंटे में 10 किसानों की आत्महत्या
विदर्भ कृषि संकट
संजय स्वदेश
नागपुर। जब सरकार देश की राजधानी नई दिल्ली में महिला आरक्षण, महिला उत्थान और महिला सशक्तिकरण और महिला आरक्षण विधेयक की चर्चा आदि में व्यस्त थी, तभी किसान आत्महत्या की राजधानी विदर्भ में कृषि संकट से त्रस्त 10 किसानों ने मौत को गले लगा लिया। आत्महत्या करने वाले छह किसान यवतमाल, दो अकोला, एक वाशिम और एक नागपुर जिले के हैं।
जून 2005 से अब तक विदर्भ क्षेत्र में मौत को गले लगाने वाले किसानों की कुल संख्या 7860 हो चुकी है। फिलहाल विदर्भ भीषण जल संकट से जूझ रहा है। सरकारी सर्वे में सूखे से प्रभावित किसान परिवारों की संख्या करीब 2 मिलियन बताई गई है। राज्य सरकार इस वर्ष अनुसार बीस हजार गांवों को पहले ही सूखा ग्रस्त घोषित कर चुकी है।
विदर्भ जन आंदोलन समिति के किशोर तिवारी ने बताया कि प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार सूखा, जल संकट, चारा, भोजन और बेरोजगारी का संकट विदर्भ में 15,460 गांवों तक पहुंच चुकी है। जून 2006 में केंद्र सरकार की ओर से घोषित किसानों के लिए राहत पैकेज भी किसानों के लिए लाभकारी नहीं रहे। महाराष्ट्र सरकार ने जिन गांवों को सूखाग्रस्त घोषित किया है, उनके लिए चलाए जा रहे राहत कार्य कागजों पर ही सीमित हैं। सूखा पडऩे से मवेशियों के लिए चारे का संकट गंभीर हो गया है। लोग अपने पशु कसाइयों के हाथों में बेच रहे हैं। चारा संकट के कारण मवेशी भी असमय काल के गाल में समा रहे हैं।
किशोर तिवारी ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वे विदर्भ के मामले में स्वयं हस्तक्षे कर किसानों को सिंचाई का पर्याप्त पानी, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार आदि सुनिश्चित कराये जिससे किसान आत्महत्या रूक सके। ज्ञात हो कि जून, 2005 से अब तक 7860 किसानों ने आत्महत्या कर ली है। वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1998 से अब तक करीब 40 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
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2 टिप्पणियां:
ज्ञात हो कि जून, 2005 से अब तक 7860 किसानों ने आत्महत्या कर ली है। वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1998 से अब तक करीब 40 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं। congress bhartiy janta party ye sab american samrajyvaad k agent ho chuke hain abhi kya aagey dekhiye kisan va majdoor k hisse mein sirf maut hi aayegi ....
nice
अति दुखद एवं अफसोसजनक!
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